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Vaastu and Your Health

महिला हो या पुरुष, वास्तु का स्वास्थ्य से सीधा रिश्ता है। पर आजकल बनने वाले अधिकाश घरों में इन बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जिसका खामियाजा उसमें रहने वाले लोग भुगतते हैं। वास्तु को अनदेखा करने से सबसे पहला दुष्प्रभाव उस घर में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। 

यदि घर बाहर से टूटा है, दीवारों से प्लास्टर छूटने लगा है, बाहरी दीवार पर दरारें हैं, दरवाजा टूटा है या अन्य कोई समस्या है, तो घर में रहने वाले लोगों को दिमागी परेशानियां और हमेशा अवसाद में रहने की समस्या हो सकती है। 


यदि घर का नैऋत्य कोण, विशेषकर दक्षिणी नैऋत्य अन्य कोणों से नीचा है, इसमें कोई भूमिगत पानी का टैंक, कुआं, बोरवैल, सैप्टिक टैंक आदि हैं, तो घर की महिलाएं सदैव बीमारियों से जूझती रहती हैं। 

यदि घर ईशान और दक्षिण दिशा में घर अन्य कोणों से ऊंचा हो या अन्य कोण और कोने पूर्व, आग्नेय, पश्चिम, वायव्य और नैऋत्य कोण से नीचे हों, तो घर की महिलाओं को असाध्य रोग होने की आशंका रहती है। 

अगर घर में नैऋत्य और पश्चिम कोण उत्तर, ईशान और पूर्व से नीचे हों और आग्नेय, दक्षिण और वायव्य से ऊंचे हों, तो उसमें रहने वाले हमेशा आर्थिक परेशानियों से जूझते रहते हैं। उन पर कर्ज भी हो जाता है। गृहिणी और उसकी पुत्री के किसी लंबी बीमारी की चपेट में आने की भी आशंका रहती है। 

घर में नैऋत्य, पश्चिम और वायव्य कोण उत्तर, पूर्व और ईशान कोणों से नीचे हों और आग्नेय व दक्षिण से ऊंचे हों, तो इस स्थिति में गृहिणी के लंबी बीमारी की चपेट में आने की आशंका रहती है। साथ ही गृहस्वामी की दूसरों से रंजिश चलने या उस पर विपत्ति आने की आशंका होती है। 

यदि आग्नेय कोण नीचा हो या इसमें सैप्टिक टैंक, पानी के टैंक, कुएं, बोरवेल या नाला आदि आग्नेय के केंद्र में, पूर्व या दक्षिण दिशा में स्थापित किए गए हों, तो घर में रहने वाले सभी लोगों को एक या दूसरी बीमारी की चपेट में आने की आशंका बनी रहती है। गृहस्वामिनी को लंबी बीमारी से जूझना पड़ता है। 

यदि घर के सामने ईशान कोण पड़ता हो और मकान उत्तर दिशा तक बना हो, लेकिन उत्तर ईशान दिशा में लंबाई कम हो, तो ऐसी स्थिति में घर में वित्त संबंधी परेशानियां लगातार बनी रहती हैं। 

यदि घर का दरवाजा उत्तरी व्याव्य कोण में खुलता है, तो इसमें रहने वाली महिलाओं के विभिन्न बीमारियों से जूझने की आशंका रहती है। साथ ही घर में रहने वाले पुरुष विभिन्न प्रकार के दुर्व्यसनों के शिकार हो जाते हैं। 

घर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा से हो और इसका निर्माण उत्तर दिशा तक हुआ हो यहां तक कि घर में दक्षिण, नैऋत्य कोण में खाली स्थान हो, तो भी घर की महिलाओं के दुर्घटनाओं का शिकार होने की आशंका रहती है। 

यदि घर का दरवाजा दक्षिण दिशा में खुलता हो और इसका निर्माण ईशान कोण तक हुआ हो, दक्षिण दिशा में बरामदा बनाया गया हो तो गृहस्वामिनी के हमेशा असाध्य बीमारियों से जूझने की आशंका रहती है। इस घर के बच्चे दिग्भ्रमित होकर गलत रास्तों पर चल सकते हैं। 

यदि घर के दक्षिण अथवा नैऋत्य दिशा से गंदे पानी के निकलने का स्थान है तो यह भी घर की महिलाओं के लिए अच्छा नहीं है।

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