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Stop Conflict/Fight Between Husband Wife

घर में दंपति के बीच संबंधों में कभी-कभी खटास आना स्वाभाविक है। ऐसे में निराकरण हेतु वास्तु या ज्योतिषीय संबंधी बातों पर ध्यान केंद्रित किया जाए, तो कई समस्याएं सुलझ सकती हैं। इसलिए वास्तुशास्त्र में कहा गया है कि गृहस्थ के भवन एवं शयनकक्ष का निर्माण वास्तुसम्मत होना चाहिए। इसमें अनेक नियमों का प्रावधान है, जिनके द्वारा दांपत्य सुख पाया जा सकता है। 

दंपति का शयनकक्ष नैऋत्य कोण(दक्षिण-पश्चिम) में होने से दांपत्य सुख मिलता है, जबकि अगर शयनकक्ष वायव्य कोण में हो, तो घर में अशांति एवं अस्थिरता का वातावरण बना रहता है। इसके अलावा शयनकक्ष हवादार, प्रकाशयुक्त और हल्के रंग से रंगा हुआ होना चाहिए। 

शयनकक्ष की खिड़कियां न तो दूसरे कमरों में और न ही सड़क की ओर खुलनी चाहिए। शयनकक्ष में बाहर की आवाज अंदर नहीं आनी चाहिए और अंदर की आवाज बाहर नहीं जानी चाहिए। 

दंपति के शयनकक्ष में पलंग से भारी दूसरी वस्तु नहीं होनी चाहिए। पलंग लकड़ी का हो, तो उत्तम है। अगर आपने बॉक्स वाला पलंग बनवाया है, तो यह वास्तु सम्मत नहीं माना जाएगा। 

पलंग का सिरहाना दक्षिण में रखना चाहिए। पलंग आवाज रहित, गद्दा सामान्य एवं चादर आदि साफ-सुथरी होनी चाहिए। फटी एवं पुरानी चादर का प्रयोग शयनकक्ष में कतई नहीं करना चाहिए। 

यदि शयनकक्ष में टीवी आदि इलेक्ट्रॉनिक सामान हों, तो उन्हें हमेशा ढंककर रखें। 

शयनकक्ष में पलंग का स्थान नैऋत्य कोण में होना श्रेष्ठ माना गया है। पलंग या बेडशीट दो टुकड़ों में नहीं होना चाहिए। बेडरूम में अत्यंत हल्की रोशनी रखना ही श्रेयस्कर माना गया है। 

नैऋत्य कोण में शयनकक्ष बनवाते समय विशेष सावधानी बरतें। यदि दक्षिणी नैऋत्य का द्वार ‘मार्ग प्रहार’ से युक्त हो, तो दांपत्य सुख का अभाव हो जाता है। इसके अलावा दक्षिणी और पूर्वी आग्नेय, दक्षिणी एवं पश्चिमी नैऋत्य तथा उत्तरी वायव्य को बढ़ा हुआ होने से भी बचाना चाहिए। 

ईशान कोण में रसोई अथवा शौचालय कभी नहीं बनवाना चाहिए। यदि घर के पश्चिम में रसोई हो और दक्षिण में मुख्य द्वार हो, तो दांपत्य सुख में बाधा आने की आशंका रहती है। 

अगर घर में दक्षिण दिशा में उत्तर की अपेक्षा अधिक स्थान छोड़ा गया हो, तो भी दांपत्य सुख की कमी हो सकती है। इसी प्रकार पूर्व, उत्तर, ईशान तथा वायव्य दिशा में अधिक भारयुक्त निर्माण भी गृहस्थ जीवन के लिए ठीक नहीं माना जाता है। 

यदि पश्चिम में खाली स्थान छोड़ते हुए पूर्वी दिशा को हद बनाकर निर्माण कराया गया हो और पूर्वी आग्नेयमुखी द्वार ‘मार्ग प्रहार’ से युक्त हो, तो दंपति के बीच विवाद की आशंका बढ़ सकती है। ठीक इसी तरह पूर्वी आग्नेय और दक्षिणी आग्नेय को हद बनाकर ‘एल’ आकार में भवन बनवाने पर दंपति की खुशियों को ग्रहण लग सकता है।

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