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Kya Pitra Dosha Hai?

कुंडली हो या व्यावहारिक जीवन हर जगह किसी न किसी तरह के दोष के होने से जातक को जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन समस्याओं को पहचानकर दोषों का निराकरण करना सही होता है। मसलन अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष दिख रहा हो, तो ऐसी स्थिति में जातक को पितृ मंदिर में जाकर खाद्य पदार्थ दान करने चाहिए और मंदिर में नवग्रह के दर्शन करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो अमावस्या के दिन ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। इससे अपने आप यह दोष समाप्त हो जाएगा। 

इसी प्रकार कई बार देखा जाता है कि गृहिणी पाक कला में कितनी भी कुशल हो, खाना अच्छा नहीं पका पाती। दरअसल जहां भी भोजन पकता है, वहां दो शक्तियां काम करती हैं, दैत्य शक्ति और दिव्य शक्ति। इनके बिना भोजन नहीं बन सकता है। दिव्य शक्ति में देवताओं की कृपा और दैत्य शक्ति में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव होता है। अगर भोजन बनाने के उपरांत देवताओं को इसका भोग न लगाया जाए, तो नकारात्मक यानी दैत्य शक्ति का प्रभाव उस पर बढ़ जाएगा, लिहाजा भोजन ग्रहण करने से पहले उसे देवताओं को भोग लगाना चाहिए। तब भोजन सुस्वादु हो जाएगा। 

अगर किसी जातक को राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करना है, तो रात्रिकाल में किसी बहती नदी में मक्का या गेहूं प्रवाहित करना चाहिए। इससे उसे राहु के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलेगी और स्वास्थ्य लाभ भी होगा।

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