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Rahu

यह कुंडली में सदा वक्री रहता है और जिस ग्रह के साथ बैठ जाता है, उसी के समान फल देने लगता है। इसे सर्वाधिक पापी ग्रह माना गया है। इनका वर्ण नीला व काला मिश्रित है। साथ ही सिंहासन नीला व रथ काले रंग का है, जिसमें काले रंग के आठ घोड़े जुते हुए हैं। राहु की आकृति सर्प के समान है। इन्हें दक्षिण-पश्चिम का स्वामी माना गया है। मुख्य रूप से इन्हें अचानक घटने वाली घटनाओं का कारक माना गया है और इसके अलावा यह छिपे हुए असाध्य रोग, लॉटरी, सट्टा, शेयर, विदेश यात्रा, दांपत्य जीवन में कलह, भूत-प्रेत बाधा रोग आदि का कारक माना जाता है। मिथुन राशि में यह उच्च का और धनु राशि में नीच का माना गया है। ऐसा नहीं है कि राहु ग्रह कुंडली में हमेशा अशुभ फल ही देते हैं। अगर राहु कुंडली में तीसरे घर में उच्च का या बलवान होकर बैठा हो, तो यह महाबली होकर यह सर्वारिष्ट भंग योग बनाकर कुंडली के समस्त दोषों को हर लेता है। जातक बल व पराक्रम में तेज होता है, इसलिए इससे प्रभावित जातक आरंभ में कष्ट उठाते हैं, पर बाद में वह उन्नति हो जाते हैं। राजनीति में सफलता के लिए यह ग्रह प्रमुख माना जाता है।

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