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प्राणों की रक्षा करने वाले मंत्र (Mantra for Diseases)


दुनिया के सभी धर्मों में पानी की पवित्रता को बहुत महत्व दिया गया है। इसी प्रकार हिंदू धर्म में भी अभिमंत्रित पानी को ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। तंत्र एवं मंत्र के माध्यम से पानी को शक्तिशाली बनाकर उसका उपयोग करने से कोई भी पीड़ा दूर हो सकती है। रावण द्वारा रचित उड्डीस तंत्र में एक अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है

सं सां सिं सीं सुं सूं सें सैं सों सौं सं स: वं वां विं वीं वुं वूं वें वैं वों वौं वं व: हं स: अमृतकार्यसे स्वाहा।

इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार पढ़कर प्रात:काल पिया जाए, तो समस्त रोगों से मुक्ति मिल जाती है। कालिका हृदय में वर्णित एक विधि के अनुसार दाहिने हाथ में गंगा जल लेकर क्रीं मंत्र द्वारा सात बार अभिमंत्रित करके स्वयं या रोगी पर छिड़कने से रोग व्याधि दूर हो जाते हैं। एक अन्य विधि के अनुसार तांबे के पात्र में जल लेकर चम्मच द्वारा अं व्याधि विनाशन्यै नम: मंत्र पढ़ते हुए 108 बार जल रोगी के मुख में डालने से या इतनी ही संख्या में अभिमंत्रित करके स्वयं पीने से समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल जाती है। अगर कोई रोगी मरणासन्न अवस्था में हो, तो श्रीकृष्ण शरणं मम् मंत्र द्वारा अभिमंत्रित जल रोगी को बार-बार पिलाते रहने से उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है और प्राणों की रक्षा होने की भी संभावना बढ़ जाती है।

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