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विवाह और आरोग्यता की साधना

मां दुर्गा की पूजा व आराधना ठीक उसी प्रकार कल्याणकारी है, जैसे सूर्य की किरणें। श्रद्धालु भक्तजनों को मनोवांछित फल प्रदान करती है। एक रुप देवी का मां महागौरी हैं, परमकृपालु मां महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से संपूर्ण ब्रह्मांड में विख्यात हुईं। इनकी आराधना मनोवांछित फलों को देने वाली तथा शरीर में उत्पन्न नाना प्रकार के रोग, शोक, व्याधि आदि का अंत कर जीवन को आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।  इनका समस्त वस्त्र-आभूषण और इनका वाहन भी हिम के समान सफेद या गौर वर्ण वाला वृषभ अर्थात् बैल माना गया है। इनकी चार भुजाएं हैं। इनमें ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे वाले बाएं हाथ में वर मुद्रा रहती है। माता महागौरी मनुष्य की प्रवृत्ति सत्य की ओर प्रेरित करके असत्य का विनाश करती हैं। इनका शक्ति विग्रह इनके उपासकों को शीघ्र मनोवांछित फल देता है। इनकी उपासना से भक्त के जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और मार्ग से भटका हुआ भी सन्मार्ग पर आ जाता है। उसे अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। महागौरी की उत्पत्ति कथा मां पार्वती से ही जुड़ती है। इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बड़ी कठोर तपस्या की थी। इनकी प्रतिज्ञा थी कि, ‘व्रियेअहम् वरदं शम्भुम् नान्यम् देवम् महेश्वरात।’


इस कठोर तप के कारण उनकी देह क्षीण और वर्ण काला पड़ गया। अंत में इनकी तपस्या से संतुष्ट होकर जब भगवान शिव ने इन्हें अपनी जटा से निकलती पवित्र गंगाधारा के जल से धोया, तो यह विद्युत प्रभा के समान कांतिमान और गौर वर्ण की हो गईं, तभी से इनका नाम महागौरी पड़ गया। महागौरी धन, धान्य, गृहस्थी, सुख और शांति की प्रतीक हैं। इनकी पूजा विवाहित महिलाओं को विशेष फल प्रदान करती हैं।

पूजन विधि: शुक्ल पक्ष अष्टमी से पुजा शुरु करें। फूल, चंद्र अथवा श्वेत शंख जैसे निर्मल गौर वर्ण वाली महागौरी पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय देवी स्थान विविध प्रकार के मांगलिक पत्र-पुष्प से सजाना चाहिए तथा स्थापित सभी देवी-देवताओं का पूजन उनके नाम मंत्रों द्वारा षोड्शोपचार पूजन करना चाहिए, जो विशेष फलदायक होता है। मां का ध्यान इस मंत्र से करें,


ध्यान मंत्र
श्वेत हस्ति समारूढ़ा, श्वेतांबर धरा शुचि:। 
महागौरी शुभं दद्याद् महादेव प्रमोददा।।

मुल मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै
(कम से कम तीन माला और 9 दिन तक करें)

देवी की मूर्ति के सामने न केवल मंत्रोच्चारण करें, बल्कि प्रसाद और फूल भी चढ़ाएं हैं। मां गौरी को सफेद रंग पसंद है, इसलिए सभी को सफेद वस्त्र पहनना चाहिए और सफेद फूल जैसे बेला, चमेली अर्पित करने चाहिए। खोये की मिठाई और मिट्टी का शेर भी चढाया जा सकता है। अंत मे जप माँ को प्रदान करें। हाथ मे जल लेकर सोचे कि यह जल नही मंत्र जप हैं अब इसे माँ के बाँये हाथ मे दे। 

मां महागौरी विवाहित स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं, साथ ही दूसरे उपासकों को आरोग्य भी देती हैं। एक बार मै स्वयं बडी बीमारी का शिकार हो गया था तब माँ गोरी की उपासना से निदान पाया। जोकि आज पूर्णतः सामाप्त है। गुप्त नवरात्रो मे की गई उपासना ज्यादा प्रभावशाली होती है।

Answer of Comment: वैसे तो सुशांत मेहता जी जब तक मनचाही स्थिति ना प्राप्त हो जप और पुजन को जारी रखना चाहिए क्योकि यह पुजन किसी विशेष कामना से किया जा रहा है इसलिये जितनी सेवा माँ की हो जाए उत्तम हैं। पर फिर भी आपकी जानकारी के लिए लिख दिया हैं। षोडश उपचार पूजन विधि वैसे तो आम ही हैं लेकिन मै शीघ्र ही यह पोस्ट प्रकाशित करुँगा।

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