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मां काली हैं तो शनि से क्या डरना


शनि पीड़ा शमन करती हैं मां काली। काली की उपासना से दैहिक, दैविक और भौतिक-सारे तापों का क्षय होता है। जिन लोगों को शनि का प्रकोप हो, वे काल भैरव और माता काली दोनों की ही आराधना करें। सरसों के तेल, काले तिल, काली उड़द से देवी भगवती और भैरव बाबा की आराधना-अर्चना करें, शनि कष्ट तो दूर होगा ही, मनोरथ भी पूर्ण होंगे। अमावस्या की अर्द्ध रात्रि बेला में महाकाली का पूजन हर प्रकार के मनोरथ पूर्ण करता है। अमावस्या के दिन पूजन एवं भोग से पितरों का आशीष प्राप्त होता है और शनिवार के दिन पूजन से शनिदोष निवारण होता है। दुर्गा सप्तशती के इस सिद्ध एवं सरल मंत्र का जाप कर समस्त रोगादि विकारों से मुक्त होकर व्यक्ति स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन व्यतीत करता है। काली साधना से सहज से सब सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं। साधक को मां काली असीम आशीष के अतिरिक्ति सुख, सम्पन्नता, वैभव व श्रेष्ठता का वरदान प्रदान करती हैं। शिवपुराण के अनुसार महादेव के महाकाल अवतार में देवी महाकाली के रूप में उनके साथ थीं।

जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु॥


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