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Heal Ear Problem with Tantra



पांच ज्ञानेंद्रियों में एक कान भी है, जिससे हम अच्छी या बुरी बातें सुनते हैं। अगर कान में किसी तरह की परेशानी आ जाए, तो हमें दैनिक जीवन में कई परेशानियां आने लगती हैं। कान में मैल बनने, सर्दी लगने, कान को बार-बार कुरेदने, कान में पानी घुस जाने या चोट लगने तथा दिमागी कमजोरी के कारण कान में ज्यादा परेशानी होती है। तंत्र ग्रंथ में कई उपाय दिए गए हैं, जिनसे कान ठीक रह सकते हैं।

  • प्रात:काल सूर्यदेव को नमस्कार करें। फिर उत्तर की ओर मुख करके प्राणायाम करें। इस दौरान कानों को उंगलियों से बंद कर लें। केवल श्वास छोड़ते समय उंगलियां हटाएं। अब जोर से ॐ वायुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करें। कान के समस्त रोग दूर हो जाएंगे।
  • विशाखा नक्षत्र में अश्वगंधा, बच, कूठ तथा गजपीपल का समभाग लेकर चूर्ण बनाएं। फिर उसमें भैंस के दूध का मक्खन मिलाकर कान के आसपास लेप करें। श्रवण शक्ति बढ़ जाएगी।
  • शनिवार के दिन नीम के तेल में शहद मिलाकर कान में 2 बूंद डालने से कान का बहना तथा दर्द दूर होता है।
  • प्रात:काल सूर्य की ओर मुंह करके प्याज के रस की दो-तीन बूंद कान में टपकाएं। कान की फुंसी और पीड़ा में लाभ होगा।
  • चुटकी भर हीरा हींग को अपने कान पर 7 बार स्पर्श कराकर उत्तर दिशा में फेंक दें। कान के समस्त रोगों का शमन हो जाएगा।
  • शनिवार के दिन लहसुन की दो-तीन कलियों को कुचलकर सरसों के तेल में पकाएं। फिर इसे छानकर कान में डालें, फुंसी ठीक हो जाएगी।

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