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दुर्गा सप्तशती के पाठ का व्यावहारिक लाभ


‘एकैव माया परमेश्वरस्य स्वकार्यभेदा भवती चतुर्धा! भोगे भवानी समरे च दुर्गा, क्रोधे च काली पुरुषे च विष्णु:!’ उस परब्रह्म की एक ही माया है, जो कार्य भेद से चार अलग-अलग रूपों में विराजती है! उत्पत्ति के अर्थ में भवानी, युद्ध क्षेत्र में दुर्गा, क्रोध के समय काली बन जाती हैं, यही जब पुरुष बनती हैं तो विष्णु बन जाती हैं! महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित मार्कण्डेय पुराण के अंतर्गत दुर्गा सप्तशती शक्ति महात्म्य प्रदर्शक एक भाग है! जिसमें उपासना तथा साधना के उपाय आदि का सम्यक निरूपण किया गया है! यह माता शक्ति के विभिन्न रूपों और कार्यों को दर्शाती है! यह सप्तशती धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाली कर्म, भक्ति, ज्ञान, वेद-वेदान्त तत्व कि दर्शिका हैं! दुर्गा सप्तशती का पाठ अभीष्ट कार्यसिद्धि, अभय प्राप्ति और त्रिविध तापों से मुक्ति प्रदान करने वाला है! इसमें माता के तीन चरित्र प्रथम चरित्र, मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र का वर्णन किया गया है!

दुर्गा पूजन अथवा सप्तशती का पाठ करना या इसका श्रवण करना सभी गृहस्थों के लिए वरदान की तरह है क्योंकि हर व्यक्ति जीवन में किसी न किसी परेशानी से पीड़ित होता है। जो लोग सबकुछ होते हुए भी परिवार में तनाव और कलह से परेशान हैं, जो हमेशा शत्रुओं से दबे रहते हैं, जिन्हें मुकदमों में हार का भय सताता रहता है या जो प्रेतात्माओं से परेशान रहते हैं, उन्हें मधु और कैटभ जैसे राक्षसों का संहार करने वाली माता महाकाली के दुर्गा सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करना या सुनना चाहिए।

बेरोजगारी की मार से परेशान, कर्ज में आकंठ डूबे हुए भक्त जिन्हें चारों ओर अंधकार ही दिखाई दे रहा हो, जिनका व्यापार बंद हो चुका हो, जिनके जीवन में स्थिरता नहीं हो, जिनका स्वास्थ्य साथ न दे रहा हो, घर की अशांति से परिवार बिखर रहा हो अथवा पूर्णत: भौतिक सुखों से वंचित हों, ऐसे प्राणी को माता महालक्ष्मी की आराधना और मध्यम चरित्र का पाठ करना या सुनना चाहिए। 

दुर्गा सप्तशती का पाठ ऐसे भक्तों के लिए भी लाभप्रद होता है, जिनकी बुद्धि मंद पड़ गई हो, याददाश्त कमजोर हो रही हो, जो सन्निपात की बीमारी से ग्रसित हों, जिन्हें शिक्षा-प्रतियोगिता में असफलता मिलती हो, परिश्रम का उचित फल नहीं मिलता हो, जिनको ब्रह्मज्ञान और तत्व की प्राप्ति करनी हो, उन्हें माता सरस्वती की आराधना और उत्तम चरित्र का पाठ करना चाहिए। संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का दशांग व षडांग पाठ संसार के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाला है। दुर्गा सप्तशती पथ-श्रवण से प्राणी सभी कष्टों से मुक्ति पा जाता है। घर में वास्तु दोष हो, तो यह पाठ अथवा श्रवण इन दोषों के कुप्रभाव से छुटकारा दिला देता है क्योंकि वास्तु पुरुष भी माता का परम भक्त है।

साथ ही काम, क्रोध आदि पर विजय भी मिलती है। अतः जय अम्बे, जय दुर्गे, जय काली

1 comment:

  1. Very enlightening and very very useful information from Saptshati. Thanks!

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