Header Ads

ad

दीपावली की पूजा का मुहूर्त



हर पूजा के लिए एक मुहूर्त विशेष की चर्चा की गई है। ऐसे ही दीपावली की पूजा के लिए स्थिर लग्न को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्थिर लग्न में पूजा करने से लक्ष्मी की कृपा पूरे वर्ष तक बनी रहती है। इस बार दीपावली पूजन का शुभ समय सायंकाल में वृष लग्न और रात्रि में सिंह लग्न में है। 

बुधवार को महालक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
सुबह 6.45 से 9.34 बजे
दोपहर11.30 से  1 बजे
लाभ समय शाम 4.33 से 5.07 बजे तक
वृषभ लग्न शाम 7.20 से 9 बजे
मिथुन लग्न शाम 9.00 से 10.40 तक

आप चाहें तो लग्न का विश्लेषण अपने पंडित से भी करवा सकते हैं। 

आइए जानते हैं कि किस लग्न में किस राशि के जातक को दीपावली पूजन लाभदायी हो सकती है :

वृष लग्न
इस लग्न में दीपावली पूजन मिथुन, कन्या, मकर, कुंभ राशि वालों के लिए विशेष शुभ फलदायी है। मेष, वृष, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वालों के लिए यह शुभ फलदायी है और कर्क व सिंह वालों के लिए अशुभ फलदायी होने की आशंका है।

सिंह लग्न
यह लग्न मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मीन राशि वालों के लिए दीपावली पूजन विशेष लाभदायी रहेगा तथा मिथुन व कन्या वालों के लिए सामान्य फल वाला है। इसी प्रकार वृष, तुला, मकर और कुंभ राशि वालों के लिए अशुभ फलदायी है।

वैसे बिजनेस आदि करने वालो को के लिए मिथुन लग्न अति उत्तम है। मै तो मिथुन लग्न मे ही पुजा करने जा रहा हूं क्योकि मेरी राय मे लक्ष्मी बहुत चचंल हैं और उसको स्थिर करने के ज्यादा चक्कर मे नही पड्ना चाहिए। सही मायने मे तो लक्ष्मी का आते जाते रहना ही हैं और इसी कारण यह संसार चाल्यमान हैं। आप स्व्यं ही सोचो अगर लक्ष्मी जी एक ही जगह अपना स्थिर निवास कर लेगी तो यह संसार नही रुक जायेगा। तो हम ऐसी माँग क्यो करें लक्ष्मी माँ से जो संसार चलाने के विपरित है। दुसरी बात जिस कृपा को हम खोज रहे हैं वह तो वास्तव मे लक्ष्मी यानि धन आदि के आने जाने से ही सम्भव होती हैं। यही बिजनेस का भी नियम हैं। तो हम अक्सर लक्ष्मी पुजा मे लक्ष्मी को स्थिर करने पर क्यों जोर देते हैं? यह मै तो नही समझ पाया, शायद आप जानते हो?

आप कल्पना किजिए कि एक बहुत ही सन्दर लडकी आपकी मित्र हैं। वह अपार धनवान, सुन्दर, सच्ची, दुसरो का हित चाहने वाली आदि आदि गुणो से परिपुर्ण है। पर वह थोडी थोडी देर मे बाजार जाने की घुमने फिरने की शोकिन हैं। अब आप इस प्रकार की लडकी को अपने घर पर निवेदन कर ले आये। आपने इसकी कृपा भी प्राप्त कर ली और अब आप इस स्थिर करना चाहते है। यह कैसे हो सकता हैं क्योकि इसे तो हर दस मिनट बाद बाजार जाना ही हैं? हो सकता हैं कि तुम्हारी नजरबन्दी मे कुछ समय रुक जाये परंतु एक बात याद रखो कि इस जब मोका मिला यह आपके यहाँ से चली जायेगी और सोचेगी कि कहाँ फस गयी थी। जब वह चली जायेगे आप देखते रह जाओगे। यह भी ऐसे व्यक्ति को कम ही पसन्द ही करती है। सीधी बात यह हैं कि जब यह घुमने फिरने कि शोकिन हैं तो इस घुमने फिरने दिया जाये मतलब कि जैसे बिजनेस आदि से। सही मायने मे जो इसे घुमने फिरने देता हैं उसी पर इस की कृपा सबसे ज्यादा रहती हैं। लक्ष्मी यह भी ध्यान रखती हैं कि उसके दिये रु - पैसो को कितने शुभ कामो पर खर्च किया गया हैं। यदि आप ऐसा नही करते तो जाने कि अधिक समय आपके पास रहने वाली नही हैं। जोहि प्रारब्ध मे पुण्य सामाप्त वो छुमंतर हो जायेगी। लक्ष्मी तो केवल प्रारब्ध और पुण्य के प्रभाव से ही रुकती हैं। यह बात अलग हैं कि महालक्ष्मी की पुजा से भी बहुत पुण्य मिलता हैं।

लक्ष्मी का स्वभाव को समझना जरुरी हैं जैसे एक मछली जल मे सदेव चलती रहती हैं उसी प्रकार लक्ष्मी मायाजाल के समुदर को बरकरार रखने के लिये सदेव मछली की भांति विचरण करती रहती हैं। इसी कारण मैने मिथुन लग्न कि बात की। यह लग्न द्विस्वभाव लग्न हैं और लक्ष्मी का भी द्विस्वभाव हैं आना - जाना उसका काम हैं।

तो भक्तजनो लक्ष्मी को स्थिर करने की बजाय उनकी विशेष कृपा पाने मे ज्यादा यकीन रखना चाहिए। यही माँग हमें श्री महालक्ष्मी जी से भी करते रहनी चाहिये कि उनकी कृपा हमारी आने वाली पिडियो पर भी बनी रहे। 

No comments

अगर आप अपनी समस्या की शीघ्र समाधान चाहते हैं तो ईमेल ही करें!!