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दीपावली पर दीये कब कैसे और कितने जलाए


दीपावली कुछ खास है घोर अन्धरे मे रंग बिरंगी रोशनी कठोर से कठोर व्यक्ति के ह्रदय को रोमांचित कर देती हैं   इस दिन सभी देवता भी मनुष्य से सम्पर्क बनाने के ललायित रहते हैं। हम सबके ईष्ट देव भी आज हमारे किये गये पुजन से बहुत प्रसन्न होते है। यह सिद्धियो का पर्व हैं। आज दीयों में बाह्य प्रकाश के साथ-साथ अंदर यानी मन के प्रकाश की भी बात होती है। इस पावन पर्व के मौके पर अंधेरे यानी बुराई को हटाकर उजाले यानी अच्छाई को लाने का संकल्प हम सभी दोहराते हैं। इसलिए आप भी इस दीपावली में ऐसी कामना करें कि घर, समाज, देश व दुनिया के हर कोने से अंधकार मिटे और खुशियों का उजियारा फैले। हां, दीयों को जलाने के दौरान यदि वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो लक्ष्मी की कृपा आप पर अधिक होगी। 

कितने दीये जलाये प्रशन यह हैं?  वैसे तो दीये आप अपनी इच्छानुसार जला सकते हैं, पर यदि वास्तु की बात की जाए तो सबसे ज्यादा दीये दीपावली के दिन ही जलाएं। संभव हो, तो 108 दीये जलाने चाहिए। इससे पहले या बाद में कुछ कम दीये भी जलाए जा सकते हैं। साधारणतया दीये पांच दिनों तक जलने चाहिए, कृष्ण पक्ष त्रियोदशी से लेकर भाई दूज तक, ताकि रोशनी को अधिक से अधिक हृदय में संजोया जा सके और खुद को आलोकित किया जा सके। ध्यान रखें कि दीया जलाना सिर्फ घर तक ही सीमित न हो। घर के अलावा आसपास के कुएं, मंदिर, तालाब और चौराहे पर भी दीये रखे जा सकते हैं। रोशनी के पर्व दीपावली में दीयों को जलाने के दौरान यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो त्योहार की खुशी में चार चांद लग जाते हैं और सुख-समृद्धि भी बढ़ती है

दीये जलाने के सम्बन्ध मे कुछ बाते नीचे लिखी है।
  • दीये मिट्टी के ही बने होने चाहिए। 
  • दीपावली के दिन तिल के तेल का दीया सबसे अधिक जलाएं। इससे सबसे अच्छा माना जाता है।
  • तिल का तेल न मिलने पर घी या मूंगफली के तेल के दीये भी जला सकते हैं।
  • सरसों के तेल का दीया न जलाएं, तो बेहतर।
  • दीपावली के दिन संभव हो तो 108 दीये जलाएं।
  • सिर्फ अपने घर में ही नहीं, सार्वजनिक स्थानों पर भी इन्हें रखें।

चाहे तो दीये वास्तु के हिसाब से भी जला सकते है।
  • सबसे अधिक दीये दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें।
  • दक्षिण-पूर्व में दक्षिण-पश्चिम की तुलना में कम दीये रखें।
  • उत्तर-पश्चिम में सबसे कम दीये रखें।

शुभ है स्वस्तिक का चिह्न

घर के मुख्य द्वार पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। दीपावली के मौके पर ऐसा चिह्न वास्तु के दृष्टिकोण से शुभ माना जाता है। रोशनी युक्त स्वस्तिक चिह्न को लटकाया भी जा सकता है। सबसे मुख्य बात यह है कि आप यही प्रयास करें कि अपने आस-पास या जिन घरों में निर्धनता है, उन घरों में भी प्रकाश की व्यवस्था करें। साथ ही अपने सामर्थ्य के अनुसार मिठाई भी बांटें। इस पर्व की महिमा यही है कि आप जितना प्रकाश बांटेंगे, उतनी ही लक्ष्मी की कृपा आप पर होगी। तो खूब रोशनी करें, पर दीये वास्तु अनुरूप जलाएं, ताकि समृद्धि आपके घर का अभिन्न अंग बन जाए।

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