Header Ads

ad

दुर्गा जी का प्रिय पुष्प गुड़हल


लाल वर्ण को शक्ति, सौभाग्य एवं समृद्धि का भी प्रतीक कहा गया है। इसलिए शक्ति उपासना में लाल फूल या लाल वस्तु का अधिक महत्व है। दुर्गा जी रक्तवर्णी हैं। यानी लाल वर्ण शक्ति का द्योतक है। सिंदूरवर्णी भी भगवती का ही नाम है। हनुमान जी भी शक्ति का प्रतीक होने की वजह से लाल वर्णी हैं। दुर्गा जी की ध्वजा भी लाल रंग की होती है। नारी अपने माथे पर लाल बिंदी लगाती है तथा उनकी मांग में भरा जाने वाला सिंदूर भी लाल होता है। लाल वस्तुएं अर्पित करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इसलिए मां को लाल पुष्प विशेषकर गुड़हल का फूल अर्पित करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। इस संबंध में देवी भागवत में एक कथा भी है कि मधु-कैटभ नाम के दो राक्षस देवी के परम भक्त थे। उन्होंने पंद्रह हजार वर्षों तक भगवती का ध्यान लगाया। 

एक बार नारद जी ने उन्हें "ॐ जगदम्बायै नम:" का उच्चारण करते हुए देखा, तो रुक गए। उन राक्षसों ने नारद से पूछा, ‘आप यहां क्या देख रहे हैं?’ तब नारद जी ने कहा, ‘आप दोनों की भक्ति से हम बहुत खुश हैं। मां जगदंबा को कुछ वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं। जैसे बेला, चमेली, केसर, लाल पुष्प, पलाश, तगर, चंपा, मौलश्री, मंदार, कुंद, लोध, कनेर। पर लाल गुड़हल के फूल अर्पित करने से वह सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं।’ तब मधु और कैटभ ने पांच हजार गुड़हल के फूल मां दुर्गा को अर्पित किए। इससे प्रसन्न होकर माता ने उन्हें पांच हजार वर्ष तक जीवन वरदान के रूप में दिया। इसी कारण श्री विष्णु पांच हजार वर्ष तक उनका वध नहीं कर पाए।

No comments

अगर आप अपनी समस्या की शीघ्र समाधान चाहते हैं तो ईमेल ही करें!!