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सांप काटने का इलाज



दोस्तों उम्मीद करता हूँ, कम से कम सांप के काटने से तो किसी की जान ना जाये . वेसे तो आज मेडिकल साइस  न जाने कितनी आगे जा चुकी हैं. परन्तु कुछ देसी तरीके इलाज के आज भी मोजूद हैं. क्योँकी जब तक हम सांप कटे व्यक्ति को डॉक्टर के पास तक ले जाते हैं तब तक वो बेचारा दम तोड़ चुका होता हैं. 


पीपल का पेड़ तो सब जानते हैं बस पीपल ही इसका सबसे सस्ता इलाज हैं. जैसा की वेदों में कहा की पीपल के पेड़ में सभी देवताओ का वास हैं. पीपल के जड़ में ब्रामा का, तने में विष्णु का और पतों में शिव का निवास हैं. और यही शिव विष हर हैं. श्री शिव ही किसी भी जहर का पान कर सकते हैं. शिव की दया से ही इस विष को दूर किया जा सकता हैं. 


प्रयोग विधि कुछ इस प्रकार हैं. 


१. सबसे पहले उस आदमी को जमीन पर लेटा दे फिर पीपल के हरे पत्तो की एक टहनी तोड़ कर ले आओ. टहनी में कम से कम २५-३० पत्ते जरुर हो.


२. फिर कम से कम ५ आदमी उस आदमी को पकडे जिस आदमी को सांप ने काटा हो. दो उसके पेरो को पकडे. दो उसके हाथो को पकडे . और जो सिर को पकडे वो यह प्रयोग करे . (चाहे तो सिर को अलग से भी एक आदमी पकड़ सकता हैं)


३. अब दो पत्ते टहनी पर से तोड़ कर १-१ इंच तक तीली वाला हिस्सा उस आदमी के कानो में डाले. ध्यान रखे की १-१ इंच से ज्यादा न हो . वेसे भी जब यह तीली उसके कानो में जाएगी तो वो चीखना  शुरु कर देगा. बस यही पॉइंट की बात हैं की तीली इतनी ही कानो में जानी चाहिए की वो चीखना  सुरु कर दे . (कान का पर्दा करीब २ इंच पर होता हैं इसलिए डरे ना) अब दोनों पत्तो को कुछ सेकंड रोक कर बदल दे . फिर नया जोड़ा प्रयोग करे .


४ इस प्रकार से करीब १०-११ जोड़े बदले या यह कहे की होश आने तक १०-१५ ही बदले. कितना भी भयंकर विष क्योँ ना हो शिव किरपा से दूर हो जाता हैं. 


५. अब यह पत्ते किसी स्थान पर गड्डा खोद कर दबा दे, नहीं तो यह पत्ते अगर किसी ने खा लिए तो वो नहीं बचेगा ये गरंटी हैं मेरी.


सावधान : जब कानो में पीपल के पत्ते की तीलिया डाले, तो ध्यान दे, की तीलिया इतनी ही डाले की जितनी जरुरत हो और जरुरत की पहचान यह हैं की तीलिया डालने पर वह चीखना शुरु हो जायेगा. चीखना पर तीलिया आगे ना डाले, वही पर रोक दे.  दूसरी बात यह की जब पीपल के पत्ते टहनी से अलग करगे तो थोडा सा पानी आता हैं वो पानी आना जरुरी हैं क्योँकी वो पानी ही ज़हर का एंटी हैं. करपा करके प्रयोग में कोई शोधन ना करे. शोधन की कोई जरुरत नहीं हैं.


दिस्क्लैमेर: यह प्रयोग लोगो के हितार्थ दिया जा रहा हैं उलटा-पुल्टा प्रयोग से होने वाले नुक्सान का व्यक्ति स्वयं जिम्मेवार होगा 

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